मौर्य वंश

स्थापना नंद वंश के अंतिम शासक धनानंद को पराजित कर चंद्रगुप्त मौर्य ने मौर्य साम्राज्य की स्थापना की चाणक्य कौटिल्य चंद्रगुप्त मौर्य के गुरु थे जिसकी सहायता से चंद्रगुप्त धनानंद शासक को हराया

चंद्रगुप्त मौर्य 322 बीसी से 298 बीसी बौद्ध जैन ग्रंथ में चंद्रगुप्त को क्षत्रिय कहा गया है जबकि मुद्राराक्षस पुराण आदि में उसे शूद्र कहा गया है जस्टिस स्ट्रेटों सेंट्रो कोट्स एपीएन ब्लूटूथ ने एंड्रयू को टच नाम दिया जिसे चंद्रगुप्त मौर्य के रूप में पहचान विलियम जोंस ने की सेल्यूकस से युद्ध 305 बी सी में मेगस्थनीज 500 आती है लेना बेटी मौर्य से शादी काबुल कंधार मकरान है रात सेल्यूकस से युद्ध जस्टिन रुकने के अनुसार 600000 सेना के साथ भारत को रौंद डाला जस्टिन ने सिकंदर चंद्रगुप्त मौर्य की बहन का वर्णन किया है 298 बी सी में श्रवणबेलगोला में सन लेखन संतरा पद्धति द्वारा मृत्यु भूखे रहकर प्राण त्यागना सन लेखन पद्धती है भद्रबाहु दिगंबर

बिंदुसार 298 से 273 बीसी आजीवक अमित्र घाट शत्रु विनाशक जैन ग्रंथों में सिंह सेन की कहा गया है तक्षशिला में दो विद्रोह हुए पहले सुशील तथा बाद में अशोक को भेजा सीरिया शासक एंड योर कसे बिंदुसार ने सूखे अंजीर अंगूरी शराब एक दार्शनिक मांगा उसने दार्शनिक नहीं दिया मिस्र के राजा टोलमी द्वितीय पिक आलडेल फसने डायनोसिस राजदूत को बिंदुसार के दरबार में भेजा

अशोक 273 से 332 बीसी माना जाता है कि अशोक 99 भाइयों की हत्या का राजा बना जिसमें उसे 4 साल करीब लगे 269 में राजा बना पहले अवंतिका राज्यपाल था अशोक का नाम मास की गुर्जरा अभिलेख से मिलता है 261 vc9 वे वर्ष में कलिंग युद्ध जिसके बाद उसने धर्म को अपना लिया धमका मार्ग अपना लिया उप गुप्त से दीक्षा ली वेरी गोश्त की जगह धन गोश्त 13वें शिलालेख में बताया गया

हजरत बृहद्रथ 185 बीसी अंतिम मौर्य शासक जिसकी हत्या पुष्यमित्र शुंग ने कर दी जो इसी का सेनापति था

Maurya prashasan rajya prashasan Sainik nyayik Pramukh मौर्य प्रशासन राजा प्रशासन सैनिक न्यायिक प्रमुख अमात्य प्रशासनिक अधिकारी में प्रमुख प्रधानमंत्री पोर्टल तीर्थ शीर्षक अधिकारी समाहर्ता राजस्व प्रधान बली भाग कृषि से कर शनि धातु राजकीय कोषाध्यक्ष वित्त मंत्री सीता अध्यक्ष राजकीय कृषि विभाग अध्यक्ष पनिया अध्यक्ष वाणिज्य विभाग अध्यक्ष एक्सपर्ट अध्यक्ष महालेखाकार आदि सीता भूमि सरकारी राजस्व भूमि को कहते थे
मौर्य समाज कौटिल्य के अनुसार ब्राह्मण क्षत्रिय वैश्य शूद्र 4 वर्ग थे मेगास्थनीज के अनुसार 2 किसान एक दार्शनिक तीन अहीर 4 कारीगर 5 सैनिक 6 निरीक्षक 7 सभासद 7 वर्ग थे कौटिल्य के अनुसार दास प्रथा थी मेगास्थनीज के अनुसार दास प्रथा नहीं थी स्त्री की स्थिति पहले ठीक पहले से ठीक हुई वेश्यावृत्ति करने वाली स्त्रियां रूपा जी वा कहलाती थी

मौर्य अर्थव्यवस्था अर्थव्यवस्था का आधार कृषि था आंतरिक एवं बाह्य व्यापार होते थे प्रमुख उद्योग वस्त्र उद्योग था व्यापार में मुद्रा का प्रयोग होता था कर चोरी करने वालों को मृत्यु दंड दिया जाता था प्रमुख बंदरगाह भरोसी

मौर्य कला सिंधु सभ्यता के पश्चात कला का व्यवस्थित विकास मौर्य काल में प्रारंभ हुआ शिलालेख 14 प्रथम पशु बलि की निंदा चौथा पहरी घोष की जगह दम घोष पांचवा धर्म महा मतों की नियुक्ति सातवा एवं आठवां तीर्थ यात्रा का उल्लेख कहरवा कलिंग युद्ध एवं हृदय परिवर्तन का वर्णन

अशोक का धम्म सभी धर्मों का सार था जो बौद्ध धर्म के साथ-साथ नैतिकता पर आधारित था धर्म प्रचार के लिए प्रयास पुत्र महेंद्र एवं पुत्री संघमित्रा को श्रीलंका धर्म प्रचार के लिए भेजा दम महामद तो की नियुक्ति शिलालेख स्तंभ स्तूप का निर्माण धर्म यात्रा दसवें वर्ष बोधगया 20 वर्ष रूम भी दे लुंबिनी यह सबसे छोटा अभिलेख कर को कम करने संबंधी प्रमाण धर्म यात्रा का कर्म गया ज्ञान कुशीनगर निर्वाण लुंबिनी कपिलवस्तु शरीर श्रावस्ती

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