Authority || सत्ता (प्राधिकार) - अवधारणा , प्रकार और स्रोत || राजनीति विज्ञान हिन्दी में नोट्स || BA 1st year notes in hindi

सत्ता

महत्वपूर्ण प्रश्न

सत्ता की अवधारणा बताइए ।
सत्ता के प्रकार लिखिए। 
सत्ता के स्रोत बताइए । 

सामान्य परिचय 

सभी संगठनों अथवा व्यवस्थाओं में सत्ता अनिवार्य रूप से मौजूद एवं क्रियाशील रहती है। किसी भी संगठन (व्यवस्था)की स्थिति एवं संचालन के लिए जरूरी है कि उसमें निहित बल, दमन, पीड़न आदि की प्रवृत्तियों का नियंत्रण किया जाए तथा उस संगठन का संचालन मानव मूल्यों पर आधारित सहयोग, सहमति, अनुशासन आदि की प्रवृत्तियों द्वारा किया जाए। सत्ता मुख्यतः इसी कार्य को करती है। इस प्रकार सत्ता किसी संगठन (व्यवस्था) की 'जीवन शक्ति' होती है और उसे संगठन की आत्मा कहा जाता है। वस्तुतः सत्ता किसी संगठन (व्यवस्था) का मस्तिष्क भी कही जाती है क्योंकि यह संगठन के लिए निर्णय लेने और उसे लागू करने का कार्य भी करती है। सत्ता के अभाव में कोई राज व्यवस्था अपने कार्यों को करने में अथवा अपने अधिकारों को भोगने में असमर्थ रहती है।

सत्ता का अर्थ एवं परिभाषा

हिंदी शब्द सत्ता अंग्रेजी के शब्द 'अथॉरिटी' का अनुवाद है; अथॉरिटी शब्द की उत्पत्ति लेटिन भाषा के शब्द  'आक्टोरिटाम' से हुई है, जिसका अर्थ है - 'बढ़ाना'। जब शक्ति को औचित्यपूर्णता प्राप्त हो जाती है तो उस में गुणात्मक वृद्धि हो जाती है और वह सत्ता बन जाती है।
सत्ता किसी राजव्यवस्था के अस्तित्व एवं संचालन के लिए अनिवार्य तत्व है। बीच के अनुसार "अन्यों के कार्य निष्पादन को प्रभावित या निर्देशित करने के उचित औचित्यपूर्ण अधिकार को सत्ता कहते हैं। " संक्षेप में, सत्ता का सामान्य अर्थ इस प्रकार है -
  1. यह राज व्यवस्था का अनिवार्य तत्व है। 
  2. सत्ता 'संस्थागत शक्ति' है। 
  3. सत्ता उच्चस्थ   एवं अधीनस्थ अधिकारियों के बीच अधिकारी के बीच एक संबंध है। 
  4. सत्ता मूल्य सापेक्ष होती है,
  5. सत्ता का आधार सहमति व स्वीकृति है;
  6. सत्ता में प्रभाव निहीत होता है, तथा
  7. सत्ता द्वारा शक्ति के बल का प्रयोग में नियमन होता है

सत्ता के स्रोत

सत्ता की संपूर्ण अवधारणा में सत्ता के स्रोत का विशेष महत्व है, क्योंकि सत्ता का स्रोत सत्ता को औचित्यपूर्णता देता है और इसके परियों की सीमाओं को बताता है। अतः सत्ता के स्रोत को सत्ता का आधार भी माना जाता है।
सत्ता के प्रमुख स्रोत अग्रलिखित है -
  1. औचित्यपूर्णता
  2. अधीनस्थ की प्रकृति 
  3. पर्यावरण का दबाव 
  4. विभिन्न दंड विधान 
  5. संविधान 
  6. प्रत्यायोजित अधिकार 
  7. जनमत तथा 
  8. सताधारी के वैयक्तिक गुण । 
सत्ता के विभिन्न स्रोतों के बारे में तीन सिद्धांत प्रचलित है -
  1. औपचारिक सत्ता सिद्धांत 
  2. सहमति सत्ता सिद्धांत, तथा 
  3. सक्षमता सत्ता सिद्धांत 
  • औपचारिक सिद्धांत मूल रूप से एक विधि शास्त्रीय सिद्धांत है । और यह सत्ता का स्रोत राज्य में राज्य के सर्वोच्च कानून तथा संविधान को मानता है सहमति सिद्धांत मूल रूप से एक लोटा लोकतांत्रिक सिद्धांत है और यह सत्ता का श्रोत अधीनस्थों को मानता है । 
  • सहमति सिद्धांत मूल रूप से एक लोकतान्त्रिक सिद्धांत है।  इस सिद्धांत के समर्थकों का तर्क है कि कानूनी सत्ता (संवैधानिक सत्ता) व्यवहार में तभी प्रभावशाली ढंग से लागू हो पाती है जब अधिनस्थ उसे सत्ता के रूप में मान्यता दे देते हैं । अतः सत्ता का मूल स्रोत अधीनस्थों की सहमति होता है । प्रशासन के क्षेत्र में चेस्टर बर्नार्ड ने मुख्यतः अधीनस्थ कर्मचारियों की सहमति को ही सत्ता का मूल स्रोत माना है । उसने उन परिस्थितियों का उल्लेख किया है जिनमें एक अधिनस्थ कर्मचारी अपने अधिकारी के आदेशों को स्वीकारना पसंद करता है । 
  • सक्षमता सिद्धांत के अनुसार सत्ता का स्रोत व्यक्ति योग्यता और सक्षमता के गुण हैं, जिसके आधार पर कोई व्यक्ति स्वयं सत्ता का केंद्र बन जाता है और अन्य लोग उसके नेतृत्व को स्वीकार कर लेते हैं, चाहे फिर उस व्यक्ति को किसी संबंधित संगठन में कोई औपचारिक (कानूनी) पद प्राप्त हो, अथवा नहीं । राजनीतिक, सामाजिक व धार्मिक क्षेत्र में चमत्कारी व्यक्तित्व का स्रोत दीख पड़ता है और व्यावसायिक क्षेत्र में व्यक्ति की शैक्षणिक एवं तकनीकी योग्यता, क्षमता व उपयोगिता सत्ता का स्रोत होती है । 

सत्ता का आधार

जिन कारणों से अधीनस्थ सत्ताधारी के आदेशों का पालन करते हैं, उन्हें ही सत्ता का आधार कहा जाता है । सत्ता के प्रमुख आधार अग्रलिखित है - 
  1. औचित्यपूर्णता 
  2. अधीनस्थों का सत्ता में विश्वास 
  3. पुरस्कार, प्रशंसा, लोभ, दंड आदि के साधन 
  4. नेतृत्व के विशिष्ट गुण 
  5. सत्ताधारी वे अधीनस्थ में मूल्यों की एकता; तथा 
  6. वैधानिकता 

सत्ता के प्रति जनता का दृष्टिकोण 

सत्ता के अनुकरण के संदर्भ में सत्ता के प्रति जनता के तीन दृष्टिकोण दीख पड़ते हैं - 
  1. सत्ता के प्रति नकारात्मक दृष्टिकोण 
  2. सत्ता के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण; तथा 
  3. सत्ता के प्रति बुद्धि संगत दृष्टिकोण 

सत्ता की सीमाएं 

  1. सत्ता का उद्देश्य 
  2. अधीनस्थों की सहमति 
  3. मानव अधिकार 
  4. राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक आदि परिस्थितियां 
  5. संवैधानिक ढांचा 
  6. सत्ताधारी के वैयक्तिक गुण एवं अधीनस्थों का दृष्टिकोण 
  7. विभिन्न संगठन; तथा 
  8. अंतरराष्ट्रीय संगठन, कानून व जनमत

सत्ता की प्रकृति (विशेषताएं) लक्षण - 

  1. सत्ता संबंधआत्मक होती है - सत्ता के औपचारिक व अनौपचारिक सिद्धांत 
  2. सत्ता प्रभुत्व प्रदान करती है 
  3. सत्ता औचित्यपूर्ण एवं मर्यादित होती है 
  4. सत्ता उत्तरदायित्वपूर्ण होती है 

सत्ता के प्रकार (रूप या भेद) -

  1. संवैधानिक एवं कानूनी सत्ता 
  2. राजनीतिक सत्ता 
  3. परंपरागत सत्ता
  4. चमत्कारी सत्ता 
  5. सरकार के अंगों में निहित सत्ता; तथा 
  6. विषय की दृष्टि से सत्ता से सत्ता के प्रकार

सत्ता के स्रोत, आधार अथवा प्रयोग को दृष्टि में रखते हुए सत्ता के अनेक प्रकार बताए जा सकते हैं जिनमें से कुछ प्रकार निम्नलिखित है -

1. संवैधानिक एवं कानूनी सत्ता 

जब किसी पद अथवा संस्था को संविधान के द्वारा सत्ता सौंपी जाती है तो इसे संवैधानिक सत्ता कहा जाता है।  उदाहरण के लिए भारत में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संसद, सर्वोच्च न्यायालय, राज्यपाल, मुख्यमंत्री, विधानसभा, उच्च न्यायालय आदि को संविधान द्वारा जो सत्ता प्रदान की गई है, वह संवैधानिक सत्ता है । 
संवैधानिक सत्ता का ही एक विशेष प्रकार कानूनी सत्ता है। भारत में संसद अथवा विधानसभा कानून बनाकर शासन के विभिन्न विभागों एवं उनके अधिकारियों को जो सत्ता सौंपती है वह कानूनी सत्ता का ही उदाहरण है।  राजनीतिक सत्ता राजनीतिक सत्ता एक स्पष्ट विचार है सामान्यता इसका अर्थ किसी राज्य की राजनीतिक कार्यपालिका की सत्ता माना जाता है संसदीय नाली में प्रधानमंत्री की सत्ता मूल्य तय है राजनीतिक सत्ता ही है राजनीतिक सत्ता का एक उपभेद प्रशासनिक सत्ता होती है जिसका अर्थ शासन के विभिन्न विभागों की सत्ता माना जाता है उन्हें इस पर शासन सत्ता के तीन व्यवहारिक प्रकार सभी कार्य जाते हैं सूत्र श्रेणी कर्मचारी वृंद स्टाफ सत्ता तथा प्रकार्यात्मक सत्ता सूत्र सत्ता किसी प्रशासनिक संगठन को एक सूत्र में बांधती है प्रशासनिक संगठन के सर्वोच्च अधिकारी के सूत्र सत्ता निवास करती है और यह प्रशासन की सर्वोच्च श्रेणी से निकलकर प्रशासन के बीच की श्रेणियों से होती हुई निम्नतम श्रेणी तक चलती है यह प्रशासन के उच्चतम स्तर से प्रशासन के निम्नतम स्तर तक एक लाइन रेखा में लंबवत चलती है कर्मचारी वृंद सत्ता प्रशासन के विभिन्न स्तरों पर मौजूद विभिन्न अधिकारियों व कर्मचारियों के बीच मौजूद ऐसी सकता है जिसके आधार पर वे एक दूसर को परामर्श देने का अधिकार तथा सहयोग देने के दायित्व को पूरा करते हैं कर्मचारी वृंद 27 से निम्न तथा निम्न से उच्च प्रशासनिक श्रेणी की ओर चल सकती है प्रकार्यात्मक सत्ता प्रशासन के विभिन्न अधिकारियों को अपने स्तर पर ऐसे निर्णय लेने का अधिकार देती है जो उनसे संबंधित विशेष कार्य हुए दायित्वों की पूर्ति के लिए आवश्यक हो मेरी पारकर वाले ने सत्ता के प्रकार्यात्मक प्रकार को अत्यंत महत्व प्रदान किया है उसका मत है कि सत्ता किसी निश्चित उच्च पद या व्यक्ति में निवास नहीं करती है अभी तू किसी कार्य में निहित होती है इस प्रकार सत्ता किसी विशिष्ट कार्य से उत्पन्न ऐसी शक्ति व अधिकार है जिसका प्रयोग उस कार्य से संबंधित अधिकारी द्वारा स्थिति की विवेकपूर्ण मांग के अनुसार किया जाना चाहिए राजनीतिक सत्ता का एक विशिष्ट अर्थ भी स्वीकारा जाता है जब किसी व्यक्ति को राजनीतिक दल में अपने पद के आधार पर सत्ता प्राप्त होती है तो सत्ता के इस प्रकार को राजनीति 1 सप्ताह कहा जाता है उदाहरण के लिए भारत के विभिन्न राजनीतिक दलों के अध्यक्षों को अपने दल के संबंध में जो सत्ता प्राप्त है उसे राजनीतिक सत्ता कहा जाता है परंपरागत सत्ता सत्ता का आधार एवं स्रोत परंपरागत होती है तो उसे परंपरागत सत्ता कहा जाता है ब्रिटेन में राजपथ राजा की सत्ता परंपरा पर आधारित है भारतीय समाज में के जाति नामक संगठन की सत्ता का प्रमुख आधार परंपरा ही है चमत्कारी सत्ता जब कोई नेता श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाला होता है और उसे लगातार सफलताएं प्राप्त होती है आम जनता उसे नायक मान लेती है और उसे चमत्कारी व्यक्ति के रूप में स्वीकार ने लगती है इस स्थिति में नेतृत्व की सत्ता का आधार विरोध चमत्कार करिश्मा का गुण होता है सत्ता के प्रकार को सत्ता के इस प्रकार को चमत्कारी सत्ता कहा जाता है द्वितीय विश्व युद्ध से पूर्व जर्मनी के हिटलर को चमत्कारी सत्ता प्राप्त थी सरकार के अंगों में निहित सत्ता सरकार में कार्यपालिका व्यवस्थापिका एवं न्यायपालिका नामक अंगों में विभिन्न मात्रा में सत्ता होती है जिसे क्रमशः राजनीतिक सत्ताधारी सत्ता तथा न्याय था कहा जाता है क्षेत्रीय ता के आधार पर सत्ता सत्ता जिस प्रादेशिक क्षेत्र में क्रियाशील होती है उसके आधार पर सत्ता दो प्रमुख प्रकार स्वीकारें गए हैं क्रियाशील होती है उसके आधार पर सत्ता के दो प्रमुख प्रकार स्वीकारें गए हैं राष्ट्रीय सतवा अंतरराष्ट्रीय सत्ता उन्हें राष्ट्रीय सत्ता के तीन भेद बताए जा सकते हैं स्थानीय सत्ता प्रांतीय प्रदेशीय सत्ता एवं केंद्रीय सत्ता की दृष्टि से सत्ता सत्ता का प्रयोग करने वाले व्यक्तियों की दृष्टि से सत्ता को लिखित प्रमुख प्रकार है एकल बहुल योगात्मक तथा मंडल आत्मा की दृष्टि से व्यक्ति का आधार एवं श्रोता तकनीकी ज्ञान होता है तो उसे सत्ता को क्रमशः धार्मिक सामाजिक आर्थिक तथा तकनीकी सत्ता कहा जाता है के अनुसार सत्ता के मैक्स वेबर की अवधारणा का समाजशास्त्रीय अध्ययन किया है उसका मत है कि दृष्टि में सत्ता अपने शोध एवं प्रयोग की दृष्टि से तर्कसंगत एवं औचित्य पूर्ण होती है तो अधीनस्थ सत्ताधारी के आदेशों का पालन करते हैं मैक्स वेबर ने स्रोत के अनुसार सत्ता के निम्नलिखित तीन प्रकार बताए हैं परंपरागत श्रद्धा जबरदस्त सत्ताधारी के आदेशों का पालन इस आधार पर करते हैं कि परंपरा से ऐसा ही होता आया है तो सत्ता के इस प्रकार को परंपरागत सत्ता कहा जाता है वस्तुतः अधीनस्थ परंपरा रीति-रिवाज आदि को स्वयं में पवित्र एवं औचित्य पूर्ण मानते हैं और इसीलिए वे इस पर इन पर आधारित सत्ताधारी की सत्ता को स्वीकार करते हैं और उसके आदेशों का पालन करते हैं सत्ता के पद जैसे राजपद को आदरणीय माना जाता है और सत्ताधारी गोस्वामी समझा जाता है तथा अधीनस्थ को सेवर कन्या अथवा क आ जाता है Aur sattadhari Ko Swami samjha jata hai tatha adhinasth Ko sevakanayya athva Praja kaha jata hai shatak aaya prakar rajtantra atmak Raj vyavastha mein hai tatha samanti samaj vyavastha mein dikh padta hai 

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