शक्ति की अवधारणा
शक्ति की अवधारणा महत्वपूर्ण प्रश्न शक्ति की अवधारणा बताइए शक्ति के प्रकार क्या हैं शक्ति के स्रोत लिखिए
Concept of power what is concept of power explain the types of concept of power what are the sources of concept of power BA 1st year notes
सामान्य परिचय प्राचीन भारतीय राजनीतिक विचारकों ने दंड के रूप में शक्ति की अवधारणा को स्वीकारा है उन्होंने राजनीति को दंड नीति तथा राजा को दंड घर दंड धर कहां है
शक्ति का अर्थ एवं परिभाषा
Meaning and definition of power
शक्ति क्या है शक्ति का अर्थ मैकाीवर के अनुसार शक्ति एक बहुपक्षीय तत्व है विभिन्न दृष्टिकोण से शक्ति के विभिन्न अर्थ किए गए हैं शक्ति का अर्थ बल प्रयोग करना है शक्ति मानव स्वभाव की एक सामान्य परिवर्ती है परवर्ती है शक्ति बल प्रयोग की संभावना है व्यवस्था में नहीं पता तू ही शक्ति है शक्ति एक प्रभाव प्रक्रिया है शक्ति का अर्थ व्यक्ति के नियंत्रण अथवा नियंत्रण की क्षमता से है यथार्थवादी एवं आदर्शवादी मूल्यों के संदर्भ में शक्ति का अर्थ एवं व्याख्या
शक्ति की परिभाषा रोबट वायर स्टैंड शक्ति बल प्रयोग की योग्यता है ना कि उसका वास्तविक प्रयोग यूबिन संगठित अंतः क्रियाओं की व्यवस्था के पीछे निहित तत्व शक्ति है मैकाीवर शक्ति से हमारा अर्थ व्यक्तियों अथवा उनके व्यवहार को नियंत्रित विनियमित किया निर्देशित करने की क्षमता है क्षमता से है
Kinds of power what are the types of power शक्ति के प्रकार
अन्यों के व्यवहार में परिवर्तन की क्षमता की दृष्टि से शक्ति के प्रकार गोल्ड हैमर एवं एडवर्ल्ड सेल्स के अनुसार बल प्रभुत्व चातुर्य उचित एवं अनुचित उचित एवं अनुचित की दृष्टि से शक्ति के प्रकार मैक्स वेबर के अनुसार उचित के अनुसार शक्ति के प्रकार वैधानिक शक्ति परंपरागत शक्ति करिश्मा वदी शक्ति अनुच्छेद के अनुसार शक्ति के प्रकार दमन
अन्य दृष्टिकोण से शक्ति के प्रकार दृश्य एवं अदृश्य शक्ति प्रत्यक्ष शक्ति एवं अप्रत्यक्ष शक्ति औपचारिक शक्ति एवं अनौपचारिक शक्ति धनात्मक शक्ति एवं आगमनात्मक शक्ति संभावित शक्ति एवं वास्तविक शक्ति एकपक्षीय द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय शक्ति केंद्रित विकेंद्रित तथा व्याप्त शक्ति प्रादेशिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शक्ति निम्न मध्यम एवं महाशक्ति
विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न दृष्टिकोण से शक्ति के विभिन्न प्रकारों का उल्लेख किया है संक्षेप में शक्ति के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित है एक अन्य के व्यवहार में परिवर्तन की क्षमता की दृष्टि से शक्ति में प्रकार अनेक विद्वानों ने शक्ति को ऐसी क्षमता माना है जिसके द्वारा अन्यों के व्यवहार में अपने अनुकूल परिवर्तन किया जा सकता है गोल्ड हेयर एवं सेल्स के अनुसार सेल्स ने इस दृष्टि से शक्ति के तीन प्रकार बताए हैं अमृत बल जब शक्ति धारक बल का प्रयोग करके अन्यों के व्यवहार में अपने अनुकूल परिवर्तन करता है तब शक्ति के इस प्रकार को बल कहा जाता है प्रभु तू जब कोई शक्ति धारा का देश की शक्ति द्वारा अन्यों के व्यवहार में अपने अनुकूल परिवर्तन करता है तब शक्ति के इस प्रकार को प्रभुत्व कहा जाता है चातुर्य जब शक्ति धारक स्पष्ट रूप से अपनी इच्छा प्रकट नहीं करता अपितु युक्ति एवं जल द्वारा अन्यों के व्यवहार को अपने अनुकूल करता है तब शक्ति के इस प्रकार को चातुर्य कहते हैं
O chitte औचित्य एवं अनुचित की दृष्टि से शक्ति के प्रकार मैक्स वेबर के अनुसार शक्ति औचित्य पूर्ण या अनुचित पूर्ण हो सकती है और चित्र पूर्ण शक्ति के तीन प्रकार हैं वैधानिक जब शक्ति धारक शक्ति का प्रयोग वैधानिक ढंग से करता है तो इसे औचित्य पूर्ण शक्ति का वैधानिक प्रकार कहा जाता है परंपरागत जब शक्ति धारक शक्ति का प्रयोग मान्य परंपरा के अनुसार करता है तो इसे औचित्य पूर्ण शक्ति का परंपरागत प्रकार कहा जाता है करिश्मा वादी जब शक्ति धारक के व्यक्तित्व एवं गुणों में उसके अधीनस्थों का अटूट विश्वास एवं श्रद्धा होती है और शक्ति धारक इस शक्ति का लाभ उठाते हुए शक्ति का प्रयोग करता है तो और चित्र पूर्ण शक्ति का करिश्मा वदी प्रकार कहते हैं
मैक्स वेबर ने अनुचित पूर्ण शक्ति का मात्र एक ही प्रकार बताया है दमन
अन्य दृष्टिकोण से शक्ति के विभिन्न प्रकार दृश्य एवं अदृश्य शक्ति जब शक्ति का प्रकट रूप से प्रयोग किया जाता है तो उसे दृश्य शक्ति कहते हैं किंतु जब शक्ति का प्रकट रूप से प्रयोग किया जाता है तो उसे अदृश्य शक्ति कहते हैं प्रत्यक्ष शक्ति एवं अप्रत्यक्ष शक्ति जब शक्ति धारक स्वयं शक्ति का प्रयोग करता है तो शक्ति के इस प्रकार को प्रत्यक्ष शक्ति कहते हैं किंतु जब शक्ति धारक अपने अधीनस्थों अथवा अन्य के माध्यम से शक्ति का प्रयोग करता है तो शक्ति के इस प्रकार को अप्रत्यक्ष शक्ति कहते हैं औपचारिक शक्ति एवं अनौपचारिक शक्ति जब शक्ति धारक अपने पद में निहित शक्ति का वैधानिक तरीके से प्रयोग करता है तो ऐसी शक्ति को औपचारिक शक्ति कहा जाता है किंतु जब शक्ति धारक शक्ति का प्रयोग व्यक्तिक संबंधों के आधार पर करता है किंतु व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर करता है तो शक्ति के इस प्रकार को अनौपचारिक शक्ति कहते हैं धनात्मक शक्ति एवं अदमन आत्मक शक्ति जब शक्ति धारक शक्ति का प्रयोग अत्याचार पूर्ण ढंग से करता है तो शक्ति के इस प्रकार को धनात्मक शक्ति कहते हैं धनात्मक धनात्मक धनात्मक किंतु जब शक्ति धारक द्वारा शक्ति का प्रयोग द पूर्ण नहीं होता तो इस प्रकार को अदना तमक शक्ति कहते हैं अदमन आत्म शक्ति अपनी प्रकृति से प्रभावपूर्ण एवं औचित्य पूर्ण होती है शंभवी शक्ति एवं वास्तविक शक्ति संभोग शक्ति संभाव्य जब शक्ति धारक शक्ति का प्रयोग करने की क्षमता तो रखता है किंतु उसका प्रयोग नहीं करता है तो शक्ति के इस प्रकार को संभाव्य शक्ति कहते हैं शक्ति धारक शक्ति का प्रयोग व्यवहार में करता है शक्ति के उस प्रकार को वास्तविक शक्ति कहा जाता है एक पक्षीय द्विपक्षीय तथा बहुपक्षीय शक्ति जब शक्ति का प्रयोग एक पक्ष द्वारा किया जाता है तो इसे एक पक्षीय शक्ति कहते हैं और जब शक्ति का प्रयोग दो पक्षों द्वारा किया जाता है तो इससे द्विपक्षीय शक्ति कहते हैं किंतु जब शक्ति का प्रयोग अनेक पक्षों के द्वारा किया जाता है तो इसे बहुपक्षीय शक्ति कहते हैं केंद्रित वी जयंती तथा व्याप्त शक्ति जब शक्ति का निवास एक केंद्र में होता है तो उसे केंद्रित शक्ति कहते हैं और जब शक्ति एक से अधिक केंद्रों में निवास करती है तो इसे विकेंद्रित शक्ति कहते हैं किंतु जब शक्ति के निवास का कोई स्पष्ट केंद्र नहीं होता है अपितु वह संपूर्ण संस्था में बिक्री होती है तो उसे व्याप्त शक्ति कहा जाता है प्रादेशिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय शक्ति शक्ति जिस क्षेत्र में निवास करती है और कार्य शील होती है उस क्षेत्र के आकार के आधार पर शक्ति के तीन प्रमुख प्रकार स्वीकारें जाते हैं प्रादेशिक शक्ति राष्ट्रीय शक्ति तथा अंतरराष्ट्रीय शक्ति निम्न मध्यम एवं महाशक्ति शक्ति के इन प्रकारों की कल्पना राज्यों की पारस्परिक तुलनात्मक शक्ति के रूप में की गई है अंतरराष्ट्रीय राजनीति में विभिन्न राज्य विभिन्न मात्रा में शक्ति धारण करते हैं शक्ति की पारस्परिक मात्रा के अनुसार अंतरराष्ट्रीय राजनीति में तीन प्रकार की राज्य शक्तियों को स्वीकारा जाता है निम्न शक्ति मध्यम शक्ति तथा महाशक्ति
शक्ति के स्रोत शक्ति के स्रोत लिखिए sources of power what are the sources of power
व्यक्ति अथवा समूह को शक्ति किसी एक अथवा अनेक श्रोताओं से प्राप्त होती है इस दृष्टि के से शक्ति के प्रमुख स्रोत निम्नलिखित है शक्ति के 6 प्रमुख स्रोत हैं ज्ञान प्राप्त किया एवं उपलब्धियां संगठन एवं आकार सत्ता विश्वास विचार एवं कार्य परिस्थितियां
ज्ञान नॉलेज ज्ञान शक्ति का प्रथम एवं सर्वाधिक महत्वपूर्ण स्रोत है ज्ञान की मदद से ही व्यक्ति अथवा समूह संगठन के उद्देश्य निश्चित किए जाते हैं और इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए साधनों का प्रबंध किया जाता है ज्ञान की मदद से ही नेतृत्व के गुणों में निखार आता है और अन्यों की सहमति मिलने में मदद मिलती है किसी राजव्यवस्था की शक्ति के संदर्भ में ज्ञान के स्रोत का विशेष महत्व है राज व्यवस्था के लक्ष्यों को तय करने के लिए तथा इनकी प्राप्ति के साधन जुटाने के लिए तत्वो के एकत्रीकरण एवं विश्लेषण की जरूरत होती है और यह संपूर्ण कार्य ज्ञान की मदद से ही किया जा सकता है
प्राप्तियां एवं उपलब्धियां पोजीशंस एंड अचीवमेंट्स ज्ञान को शक्ति का आंतरिक स्रोत माना जाता है और प्राप्तियां एवं उपलब्धियों को शक्ति का भाई है स्रोत माना जाता है वही ए वाई भाई वही है भाई प्राप्ति एवं उपलब्धियों को शक्ति का वहीं श्रोत कहा जाता है यहां पर आप तीनों एवं उपलब्धियों का साधारण अर्थ है संपत्ति एवं अन्य आर्थिक प्राप्तियां भौतिक साधनों में वृद्धि पद की प्राप्ति सामाजिक राजनीतिक सम्मान की प्राप्ति आदि यह उल्लेखनीय है कि किसी राजव्यवस्था को अपने से संबंधित क्षेत्र में जो भौतिक सफलताएं मिलती है वही उनकी उसकी प्राप्ति एवं उपलब्धियां होती है इससे राजव्यवस्था की शक्ति में वृद्धि होती है अतः इन प्राप्तियां एवं उपलब्धियों को शक्ति का स्रोत माना जाता है यह ध्यान देने योग्य तथ्य है कि व्यक्ति समूह अथवा राज व्यवस्था के प्रसंग में यह प्राप्तियां एवं उपलब्धियां शक्ति का स्रोत तो है किंतु स्वयं में शक्ति नहीं होती है इन प्राप्ति में उपलब्धियों के द्वारा अन्यों के आचरण को प्रभावित करने के लिए ज्ञान आदि के साधन की भी जरूर होती है कई बार इन भौतिक राशियों एवं उपलब्धियों की सीमित मात्रा होने पर भी व्यक्ति समूह अथवा राज्य के आचरण को पर्याप्त रूप से प्रभावित करने में समर्थ होते हैं
संगठन एवं आकाश आर्गेनाइजेशन एंड फोरम आकाश आकाश आकाश संस्थाओं के संदर्भ में शक्ति का एक प्रमुख स्रोत संगठन है जिन संस्थाओं के संगठन सुदृढ़ होते हैं वह शक्तिशाली होती है राज्य एक शक्तिशाली संस्था है और इसकी शक्ति का स्रोत स्वयं इसका शुद्ध संगठन है इसी प्रकार मजदूर संघ व्यापारी संघ आदि संस्थाओं की शक्ति के स्रोत भी उनके संगठन ही है वस्तुतः संस्थाएं अपने संगठन के माध्यम से ही उद्देश्य संकल्प एवं कार्य योजना में एकता स्थापित करती है और शक्तिशाली बनती है इसी संस्था के आकार को भी उसकी शक्ति का स्रोत माना जाता है यह माना जाता है कि जिस संस्था का जितना बड़ा आकार होगा वह उतनी ही शक्तिशाली भी होगी किंतु यह बात सभी संगठनों के बारे में सत्य नहीं होती है अनेक बार संस्थाओं का आकार बड़ा होने पर उनमें उनके संगठन में शिथिलता आ जाती है और तब वे शक्तिशाली नहीं रह पाती हैं इसके विपरीत यह भी देखने में आता है कि जब संस्था का आकार छोटा होता है तब उसका संगठन सुदृढ़ होता है और वह संस्था शक्तिशाली होती है वस्तुतः किसी संस्था की शक्ति का स्रोत उसका संगठन एवं आकार दोनों ही होते हैं संगठन एवं आकार का अनुकूल संबंध संस्था की शक्ति में वृद्धि करता है और संगठन एवं आकार का पारस्परिक प्रतिकूल संबंध संस्था की शक्ति को कमजोर करता है अथॉरिटी शक्ति का एक प्रमुख स्रोत सत्ता भी है अन्य व्यक्तियों से कम योग्य एवं निर्बल व्यक्ति भी सत्ता प्राप्त करके व्यवहार में शक्तिशाली बन जाता है राजनीति में दो पर्याप्त योग्य एवं शक्तिशाली व्यक्तियों की प्रतिद्वंद्विता के कारण कभी-कभी उन में कम योग्य एवं शक्तिशाली व्यक्ति को सत्तारूढ़ कर दिया जाता है जो क्रमशः शक्तिशाली बन जाता है राजनीति में कांग्रेस के विभिन्न शक्तिशाली नेताओं की आपसी प्रतिद्वंद्विता के कारण उन में उन से कम शक्तिशाली इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री पद प्राप्त हुआ जो सत्तारूढ़ होने पर अपने समय के अन्य कांग्रेसी नेताओं में सर्वाधिक शक्तिशाली सिद्ध हुई विश्वास विचार एवं कार्य दिल्ली प्रोडकन
विचार विश्वास एवं कार्य को भी शक्ति का स्रोत माना जाता है किसी भी समाज में अपने विश्वास एवं विचार होते हैं और जो व्यक्ति अथवा संस्था इन विश्वासों एवं विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं और इन को मूर्त रूप देने के लिए कार्य भी करते हैं वह शक्तिशाली भी बन जाते हैं पर तंत्र भारत में महात्मा गांधी तथा कांग्रेस के शक्तिशाली बनने का एक प्रमुख कारण यह था कि वे भारतीय समाज के विश्वासों एवं विचारों का प्रतिनिधित्व करते हैं थे और इन्हें प्राप्त करने के लिए क्रियाशील भी थे परिस्थितियां सरकमस्टेंसस परिस्थितियों को भी शक्ति का स्रोत माना जाता है परिस्थितियों की अनुकूलता व्यक्ति अथवा संस्था को शक्तिशाली बना देती है परिस्थितियों की अनुकूलता के कारण ही चीन में माओ त्से तुंग तथा कम्युनिस्ट पार्टी को शक्ति प्राप्त हुई वर्तमान समय में सोवियत संघ के विघटन से उत्पन्न परिस्थितियों में संयुक्त राज्य अमेरिका की शक्ति में अत्यधिक वृद्धि कर दी है
शक्ति की विशेषताएं लक्षण एवं प्रकृति शक्ति की निश्चित विशेषताएं एवं लक्षण है इनके अभाव में शक्ति का अस्तित्व ही संभव नहीं है अतः इन्हें शक्ति की पूर्व आवश्यकताएं या शर्तें कह सकते हैं यह ही शक्ति की प्रकृति को स्पष्ट करती है शक्ति संबंध आत्मक होती है शक्ति के अस्तित्व के लिए कम से कम 2 करता होने चाहिए जिनमें से एक प्रभु के दूसरा अधीनस्थ होता है अधीनस्थ पर प्रभु की शक्ति निरपेक्ष नहीं होती है प्रत्येक शक्ति प्रभु किसी अन्य शक्ति प्रभु के अधीन होती है किसी समाज में शक्ति विभिन्न रूपों में मौजूद रहती है शक्ति के 2 पक्ष होते हैं वास्तविक एवं संभावित शक्ति शक्ति ओम जी के लक्षण वाली होती है शक्ति का निरंतर संचय जरूरी है
शक्ति का प्रयोग तथा इसकी सीमाएं शक्ति का प्रयोग शक्ति धारक की निश्चित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए शक्ति का प्रयोग करता है शक्ति का प्रयोग एक साधन के रूप में किया जाता है यह साधन शास्त्रीय विभिन्न रूप में दिख पड़ते हैं जैसे पुरस्कार प्रलोभन दंड धमकी आदि शक्ति के साधनों का विवेकपूर्ण प्रयोग करने पर परिस्थितियां अनुकूल होने पर शक्ति धारक को सफलता मिलती है शक्ति के प्रयोग की सीमाएं शक्ति दो विरोधी पक्षों के बीच एक व्यवहारिक व सापेक्ष संबंध है अर्थात शक्ति का निरपेक्ष सम निरपेक्ष प्रयोग संभव नहीं है शक्ति का प्रयोग उसके उद्देश्य द्वारा सीमित होता है शक्ति के प्रयोग पर इतिहास परंपरा धर्म नैतिकता आदि का प्रतिबंध रहता है राज व्यवस्था का रूप तथा राजनीति विकास की अवस्था शक्ति के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाती है शक्ति की प्रभाव बल तथा सत्ता से तुलना शक्ति प्रभाव बल तथा सत्ता में अत्यंत घनिष्ट संबंध है किंतु वास्तव में यह विभिन्न अवधारणाएं हैं इनके पारस्परिक अंतर को निम्नलिखित रुप से देखा जा सकता है शक्ति व प्रभाव में अंतर शक्ति भौतिक तत्व है और प्रभाव नेतृत्व है शक्ति मूरत है और प्रभाव और मुहूर्त है अनुपालन की दृष्टि से शक्ति निर्विकल्प है और प्रभाव विकल्प है शक्ति कटुता को और प्रभाव सद्भाव को उत्पन्न करते हैं शक्ति और प्रजातांत्रिक है और प्रभाव प्रजातांत्रिक है शक्ति का क्षेत्र सीमित होता है और प्रभाव का क्षेत्र सीमित है शक्ति के बल में अंतर शक्ति अमूर्त है तथा बल मूरत है शक्ति की तुलना में बल बाध्यकारी एवं धनात्मक है शक्ति सारा साथ देते किया जाता है और शक्ति के साधन के रूप में बल का प्रयोग करती है शक्ति एवं सत्ता में अंतर शक्ति एवं सत्ता व्यक्ति की भिन्न प्रवृत्तियों से संबंधित है शक्ति भौतिक तत्व है तथा सतावे धनिक तत्व है शक्ति साधन है तथा सत्ता करता है शक्ति मूल्य निरपेक्ष है तथा सत्ता मूल्य सापेक्षता का प्रत्यायोजन संभव है शक्ति का नहीं
कुछ प्रश्न निबंधात्मक प्रश्न शक्ति से आप क्या समझते हैं इसके विभिन्न प्रकार बताइए शक्ति की प्रकृति विशेषताएं में लक्षण स्पष्ट कीजिए तथा शक्ति के स्रोत बताइए शक्ति के शक्ति में राजनीति का संबंध स्पष्ट कीजिए विशेषकर आधुनिक राजनीति विज्ञान के संदर्भ में निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए राजनीति में शक्ति का प्रयोग एवं इसकी सीमाएं शक्ति व प्रभाव की तुलना शक्ति वेबिल की तुलना निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए शक्ति वे सत्ता की तुलना आधुनिक राजनीति में शक्ति पर जॉर्ज केटलन के विचार आधुनिक राजनीति में शक्ति पर हेराल्ड लासवेल के विचार
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