मौर्योत्तर काल
मौर्योत्तर काल ब्राह्मण साम्राज्य शुंग वंश करण वंश करण वंश सातवाहन वंश चेदि वंश हिंदी यूनानी शक शासक पहला पार्थियन शासक कुषाण शासक
Sangam vansh sansthapak
संस्थापक पुष्यमित्र शुंग ने मौर्य वंश के अंतिम शासक बृहद्रथ की हत्या कर सिंह वंश की स्थापना की 185 बीसी राजधानी विदिशा पतंजलि पुष्यमित्र के दरबार में रहते थे पतंजलि की सहायता से दो अश्वमेध यज्ञ की पुष्यमित्र ने मिनांडर हिंदी यूनानी को पराजित किया था अग्नि मित्र मालविकाग्निमित्रम् ए मालविका एवं अग्निमित्र के प्रेम विवाह का वर्णन मिलता है मालविकाग्निमित्रम् कालिदास की रचना है अग्नि मित्र पुष्यमित्र के पुत्र हैं थे अंतिम शासक देवहूति देवभूमि धूप में पाषाण के रेलिंग स्तूप में पाषाण के रेलिंग ब्राह्मण धर्म के उत्थान का काल मनुस्मृति की रचना का काल
करण अवनीश संस्थापक वासुदेव वासुदेव देवकी का सेनापति था देवती की हत्या कर वासुदेव राजा बना देवभूमि अंतिम शासक सू शर्मा अब साम्राज्य केवल पाटलिपुत्र तक सीमित हो गया था
सातवाहन वंश संस्थापक श्रीमुख श्रीमुख सिमक श्री सी राजधानी प्रतिष्ठान महाराष्ट्र कृष्णा गोदावरी क्षेत्र प्रमुख शासक गौतमीपुत्र सातकर्णि 124 ईसवी सात वाहनों ने सर्वप्रथम ब्राह्मणों शिक्षकों को भूमि दान देने की प्रथा प्रारंभ की इस बात की जानकारी नाना घाट अभिलेख से मिलती है सामंती व्यवस्था सात वाहनों ने शीशा चांदी पोर्टल कांस्य आदि के सिक्के चलाएं शीशा केसी के सर्वाधिक मात्रा में सातवाहन संभवतः मातृसत्तात्मक थे परंतु राजा पितृसत्तात्मक था कला कार्ले जयते क्षेत्र बोध से जुड़ा हुआ धार्मिक स्थल है ब्राह्मी लिपि का प्रयोग अमरावती कला का विकास
चेदि वंश महा मेघवाहन वंश अशोक की मृत्यु के बाद कलिंग पुनः स्वतंत्र हो गया कलिंग में चेदि वंश के प्रमाण हाथीगुंफा अभिलेख उड़ीसा से मिलते हैं इस वंश का सबसे प्रतापी राजा खारवेल था इसने मगध पर आक्रमण कर जिन शीतलनाथ की मूर्ति को जीत लाया था जो महापदम नंद नंद वंश कलिंग लूट गया था जैन धर्म का अनुयाई था मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद कई छोटे-छोटे राज्यों का उदय हुआ इसका लाभ उठाकर कई विदेशी वंश मध्य एशिया से भारत आए भारत आने वाले विदेशियों का क्रम हिंद यूनानी शक पल्लव पर है कुषाण इन सब में कुषाण प्रमुख है
हिंदू यूनानी ग्रीक पेस्ट्री आई सबसे पहले आक्रमण बैटरी आई शासक ने मैट्रेस ने किया इस ने भारत पर आक्रमण कर पंजाब वसींद को जीता राजधानी शक्ल सियालकोट शाकल प्रमुख शासक मिनांडर मिलिंद 165 से 145 बीसी मीणा एवं नाग सेन के प्रश्न उत्तर का संकलन मिलिंदपन्हो मिलिंद के प्रश्न में है नाग सेन एक बौद्ध दार्शनिक था प्रभाव सर्वप्रथम सोने के सिक्के जारी किए यह प्रथम शासक थे जिन के सिक्के से कला एवं राजा की निश्चित जानकारी मिलती है गांधार कला के विकास में हेलेनिस्टिक आर्ट का योगदान गांधार कला बराबर भारत प्लस यूनानी ग्रीक कला नाटकों में पर्दा प्रचलन
शक शासक यूनानी यों के बाद शक मध्य एशिया से भारत आए चारागाह की खोज में आए थे शकों की 5 शाखाएं थी जिनमें सबसे प्रसिद्ध पश्चिमी शाखा थी प्रमुख शासक रुद्रदामन 142 से 150 एडी इस समय ईसवी इसने सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार करवाया सुदर्शन झील का निर्माण चंद्रगुप्त मौर्य के समय में हुआ इसने संस्कृत में पहला अभिलेख जूनागढ़ अभिलेख जारी किया जिससे मोरियो की जानकारी मिलती है मौर्यों की जानकारी मिलती है उज्जैन के स्थानीय राजा ने 58 बी सी में शकों को पराजित किया एवं विक्रमादित्य की उपाधि धारण की विक्रम संवत भी चलाया
पार्थियन शासक राजधानी तक्षशिला प्रमुख शासक बोन टो फर्निश गोदो फर्निश इसके समय सेंड फर्निश पादरी भारत में आया जो एक ईसाई प्रचारक था
कुषाण शासक कोई स्वांग यह चीन से u-he तो खरी जाति से संबंधित थे u-he मध्य एशिया के माध्यम से भारत आए यह 5 किलो में विभाजित है जिनमें सबसे प्रमुख कुषाण थे संस्थापक कुशलगढ़ विशेष कुसुम झूला कैटफिश एस विशेष यह से उपासक था भारत में किसानों का वास्तविक संस्थापक यही था इसने सोने के सिक्के चलाएं सबसे प्रमुख शासक कनिष्क प्रथम राजधानी पुरुष पुर पेशावर मथुरा मथुरा में मार्ट में देव कुल की मूर्ति मिली 78 एडी ईस्वी ईसवी मैं शासक बनने के उपलक्ष में उसने शक संवत चलाया शुरुआत क्षेत्र 21-22 मार्च अंतिम फाल्गुन क्षेत्र क्षेत्र भारत का वर्तमान राष्ट्रीय कैलेंडर कनिष्क के समय भारत का अधिकार रेशम मार्ग पर था चीन से मद्धेशिया कनिष्क बौद्ध धर्म के महायान शाखा को मानता था उसके समय चौथी बौद्ध संगीति वसुमित्र की अध्यक्षता में हुई सर्वाधिक शुद्ध सोने के सिक्के जारी किए गांधार एवं मथुरा कला का विकास गांधार बोध मथुरा जैन अश्वघोष बुद्धचरित की रचना की चरक चरक संहिता की रचना चिकित्सा क्षेत्र के जनक सुश्रुत शल्य चिकित्सा के जनक नागार्जुन शून्यवाद को की खोज नागार्जुन को भारत का इंसान कहते हैं आइंस्टाइन
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